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लेखनी कहानी -09-august -2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 31




हंशित को दूर से आती श्रुति दिखी  और उसके साथ हिमानी भी तब जाकर उसके बेचैन दिल को चेन आया  उसे डर था की कही हिमानी आने से इंकार ना करदे।

उसने पास खड़े अपने दोस्तों को गले लगाया और बोला " यस श्रुति ने कर दिखाया  देखो वो आ रही है , आज उससे अपने दिल की बात कह दूंगा और उसके होठो से भी अपने प्यार का नगमा  सुन कर रहूंगा  "


"हाँ भाई बेस्ट ऑफ़ लक, आज  अपने दिल के जज्बातों को जुबा तक और फिर उसके दिल में उतार ही देना ताकि केदारनाथ से जाए तो भाभी को साथ लेकर ही जाए " उसके दोस्तों ने कहा

बहुत बहुत शुक्रिया तुम लोगो का, तुम सिर्फ दोस्त नही उससे भी बढ़ कर हो मेरे लिए तुम लोगो का साथ अगर हो तो इंसान चीन भी फतह करले मोहब्बत तो बहुत दूर की बात है । हंशित ने कहा

वो लोग और कुछ कहते तभी श्रुति वहा आती और कहती  " हाँ भाई लंगूरो क्या बातें हो रही है  तुम सब  तैयार हो ना पहले हम  लोग मंदिर जाएंगे दर्शन के लिए और हंशित तू भी चल रहा है  हमारे साथ बस अब बहुत हुआ "


"बिलकुल नही तुम लोगो को जाना है  जाओ लेकिन मैं नही जाऊंगा बेवजह जिद्द मत करो " हंशित ने कहा

हिमानी उसके इस तरह मंदिर ना जाने वाली बात को लेकर उसकी तरफ देख  रही  थी  और अपनी चुप्पी तोड़ते हुए बोली " आप  लोग चलिए मेरे साथ  भगवान के दर्शन करने वही जाते है  जिन्हे वो बुलाते है  बेवजह किसी को ज़बरदस्ती नही ले जा सकते है  वहा  जब  उनकी इच्छा होती है  तो वो पत्थर को भी दर्शन देने अपने पास बुला लेते है  "


ये बात सुन हंशित को थोड़ा गुस्सा सा आया हिमानी के ऊपर। लेकिन फिर भी वो मंदिर नही गया  बाहर बाजार में घूमता रहा ।

"क्या तुम्हारा दोस्त नास्तिक है , क्या उसे भगवान में आस्था नही है , क्या वो पहले से ही ऐसा है  मुझे तो लगता है  की उसकी शायद कोई नाराज़गी है भगवान के साथ क्यूंकि जब हम किसी से नाराज़ होते है  तब ही हम  उसके साथ ऐसा रावय्या रखते है  " हिमानी ने पूछा श्रुति से


"नही हिमानी वो ऐसा बिलकुल नही था, तुमने सही समझा  उसकी भगवान के साथ नाराज़गी है  लेकिन तुम चाहो तो उसकी और भगवान के बीच की ये नाराज़गी दूर करवा सकती होक्यूंकि एक तरफ तुम हो जिसे ईश्वर में इतनी आस्था है  की अपनी ज़िन्दगी का हर फैसला तुम उनके भरोसे छोड़  देती हो और एक हंशित है  जो ना जाने क्यू उनसे इस कद्र खफा हो बैठा है की उसकी उनमे आस्था ही नही रही , शायद  तुम ही उसे यहाँ दर्शन कराने ला सकती हो " श्रुति ने कहा


"नही श्रुति मैंने क्या कहा था  अब ही, जब भगवान को किसी को दर्शन देना होते है  तो वो स्वयं अपने भक्त को अपने दरबार बुला लेते है  अन्यथा कोई चाह कर भी उनके दर्शन नही कर सकता  क्या तुम सुनती नही हो अक्सर हरिद्वार, अमरनाथ या और भी तीर्थ स्थानों पर जा रही बसें या ट्रैन अक्सर दुर्घटना का शिकार हो जाती है  जबकी वो लोग पूर्ण श्रद्धा के साथ उनके दर्शन करने जा रहे होते है , और भला मैं इसमें क्या मदद कर सकती हूँ बिना ये जाने की वो कौन सी उसकी ख्वाहिश थी जो ईश्वर ने पूरी नही की थी जिसकी वजह से वो उनसे नाराज़ हुए बैठा है  " हिमानी ने कहा


"तुम समझाना उसे शायद  उसकी समझ में आ जाए " श्रुति ने कहा

वो कुछ और कहती तब ही लव और कुश वहा आये  और बोले क्या चलना नही है तुम लोगो को, क्या सारा दिन यही मंदिर परिसर में गुज़ारना है 


"आखिर कहा जाना है  हम लोगो को " हिमानी ने पूछा 

"आओ  पहले हंशित के पास चलते है फिर वही बताएगा की कहा जाना है  " श्रुति ने कहा

"लेकिन श्रुति आप मुझे बस  मंदिर दर्शन कराने का लेकर आयी थी और अब आप लोग कहा जा रहे है  " हिमानी ने कहा

"वही जो एक जगह आप से छूट गयी है  हमें दिखाने से " पीछे से आकर हंशित ने कहा

"ऐसी कौन सी जगह रह गयी है  जो हमने आप लोगो को नही दिखाई  " हिमानी ने कहा

अरे अरे हिमानी तुम डरो नही तुमने हमें सब जगह दिखा दी है  बस  वो पास वाला जंगल रह गया है  यहाँ के लोगो के मुँह से सुना है  की वो जंगल काफी डरावना है  श्रुति और कुछ कहती तब ही हंशित बोल उठा  " डरावना वरावना कुछ नही होता ये तो सब लड़कियों के कहने की बातें है  "


"क्या मतलब तुम्हारा हम लड़कियां डरपोक होती है " श्रुति ने कहा

"और क्या डरपोक तो होती ही हो, छिपकली देख कर ऐसे डर जाती हो जैसे मानो कोई चुड़ैड देख ली हो " हंशित ने कहा


"लगता है आपने बस  इतना ही जाना है  हम लड़कियों के बारे में, आपने शायद  इतिहास नही पढ़ा है  और आज कल अख़बार या न्यूज़ नही देखते है  अब लड़कियां समुन्द्र की तेह से लेकर अंतरिक्ष की ऊंचाइयों तक का सफऱ तय कर आयी है , और तो और वो सामने हिमालय दिख रहा है  उस पर भी चढ़ कर हम लड़कियों ने दिखा दिया है  की कोई भी इंसान हमें अब कमज़ोर ना समझें  " हिमानी ने कहा


"ये सब किससे कहानियों की बातें है  हमारे सामने कोई लड़की चैलेंज स्वीकार करे तो जाने " हंशित ने कहा


"अच्छा बेटा जिसकी कोख से जन्म लिया उसी के अस्तित्व के साथ चैलेंज कर रहे हो, अब तो दिखाना पड़ेगा, क्यू ना हिमानी आओ  इन चारो जवान लड़को को दिखा दे की जब औरत अपनी वाली पर आती है  तब क्या होता है  आओ  उस जंगल में चलकर दिखा देते है  की हम डरपोक नही है  भले ही छिपकली से डरना हमारी कमज़ोरी या फितरत कह लो " श्रुति ने कहा हिमानी को उकसाते हुए


हिमानी उसके दिमाग़ में उस समय सिर्फ एक ही सवाल घूम रहा था वो था अपने आप को साबित करने का और उसने ह  कह दी। जिसे सुन हंशित खुश हो गया ।

श्रुति उसके पास आयी और उसके कान में बोली " देखा मेरा कमाल , आखिर कार राज़ी कर ही लिया अब बाकी का काम तुझे करना है  "

उसके बाद वो लोग झूठ मूठ का लड़ते हुए  जंगल की और बढ़ने लगे , मौसम ख़राब सा हो रहा था काले काले बादल सर पर मंडरा रहे थे  लेकिन हिमानी अपने आप को साबित करने के लिए बिना आव या ताव देखे सिर्फ अपने मन में ना जाने क्या कुछ कहती हुयी आगे बढ़ रही थी ।


तभी हंशित उसके साथ साथ चलने लगता है हिमानी उसे देखती और अपनी नज़रे नीचे कर लेती उसे अपने पिता के कहे लफ्ज़ याद आ जाते है।


हिमानी उससे कल रात उसके घर चोरी छिपे आने की वजह जानना चाहती थी लेकिन वो खामोश रही।

हंशित भी उससे बात करना चाहता था। और बोल पड़ा " हिमानी तुम्हे क्या हो गया तुम तो हमारी दोस्त बन गयी थी फिर ऐसा क्या हुआ "

"मैं कब तुम लोगो की दोस्त बनी थी मैं तो हर सेलानी के साथ ऐसे ही घुल मिल जाती हूँ, क्यूंकि मुझे अपने काम से बेहद प्यार है और मैं खुद को खुशकिस्मत समझती हूँ जो इस पावन जगह जन्म लिया और लोगो को इस जगह से जुडी बातें बताने का मौका मिला " हिमानी ने कहा

"तुम्हे किसी ने बताया नही की तुम झूठ नही बोल पाती हो, क्यूंकि जब आप झूठ बोलती है तब आपकी आँखे और होंठ आपका साथ नही देते है " हंशित ने कहा


हिमानी ने उसकी तरफ प्यार भरी नज़र से देखा वो असमंजस में पड़ गयी थी हंशित के इस तरह उसका झूठ पकड़ने पर और बोली " आपको जो समझना है समझ लीजिये "

हंशित मुस्कुराया और बोला " तो क्या हम दोस्त नही है "

"एक लड़का लड़की कभी दोस्त नही होते है, या तो भाई बहन होते है या मिया बीवी "हिमानी ने कहा

"क्या श्रुति हमारी दोस्त नही है, वो भी तो लड़की है " हंशित ने कहा

"शहर की बात और है और ये पहाड़ो के बीच बसा छोटा सा नगर है यहाँ के लोगो की सोच अभी इतनी मॉडर्न नही है जितनी की शहर के लोगो की " हिमानी ने कहा


हंशित के पास उसकी इस बात का कोई जवाब नही था वो खामोश हो गया।


तभी अचानक तेज हवा चलने लगी मौसम बदलने लगा था।

हंशित और हिमानी बहुत आगे आ गए थै जबकी उनके दोस्त पीछे ही रुक गए थे प्लान के अनुसार।


"यार श्रुति मौसम ख़राब हो रहा है हमने कुछ गलत तो नही कर दिया उन्हें इस तरह अकेले जंगल के अंदर भेज कर कही कुछ हो गया " लव ने कहा

"लव सही कह रहा है, मौसम कितना बदल गया अभी तक धूप थी और अब काले बादलो की वजह से शाम सी हो गयी, कही बारिश और बिजली कड़की तब हंशित का क्या होगा कही वो डर गया और पहले जैसा हो गया तब क्या होगा, हम भी उसके साथ नही है " जॉन ने कहा


"हाँ मेरे दोस्तों चिंता तो मुझे भी हो रही है कही हमारा प्लान हम पर ही भारी ना पड़ जाए, ऊपर से मौसम ने अपना रुख बदल लिया है दोपहर में ही अंधेरा हो चला थोड़ी देर में शाम हो जाएगी अगर वो लोग अंदर फस गए और ऊपर से जंगली जानवर, हे! भगवान उन दोनों की हिफाज़त करना उन्हें कुछ हो ना जाए कही " श्रुति ने कहा


"अब हमारे पास यहाँ रुक कर उनका इंतज़ार करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नही क्यूंकि अगर अंदर गए तो गुम होने का खतरा हे यही बैठ कर प्रार्थना करते हे ताकि वो दोनों हिफाज़त से वापस आ जाए " कुश ने कहा और वो सब वही बैठ कर उन दोनों का इंतज़ार करने लगे।


हंशित और हिमानी बिना आगे पीछे देखे जंगल के अंदर घुसे जा रहे थै उन्हें लग रहा था बाकी सब पीछे आ रहे हे।


"कल आप खिड़की पर खड़ी बहुत खूबसूरत लग रही थी, मानो कोई चाँद बादलो में से झाँक रहा हो " हंशित ने कहा


"आपने मुझे कब और कहा देखा" हिमानी उसके आने की बात जानते हुए भी उससे पूछती हे


हंशित डरते हुए "माफ कीजिये कल मैं और मेरा दोस्त चोरी छिपकर आपके घर आये  थै " हंशित कुछ और कहता तब ही हिमानी बोल पड़ी

"मेरे घर वो भी चोरी छिपकर, आखिर क्यू ऐसा भी क्या था जो आप मेरे घर चोरी छिपकर आये थे बताये मुझे"हिमानी ने पूछा


"उस छोटे से घर में एक अनमोल हीरा हे उसी को देखने आये थै " हंशित ने कहा

"हीरा केसा हीरा साफ बताइये बात क्या हे " हिमानी ने थोड़ा गुस्से से पूछा

हंशित थोड़ा प्यार से बोला " सीधी भाषा में कहु तो मैं आपको देखने आया थे, कई दिन हो गए थे आपको देखा नही था मैने और जब आपको खिड़की पर खड़ा देखा तो लगा  जैसे चाँद बादलो से नही आज उस खिड़की से निकला हे , मैं आपको देखने आया था  "

"लेकिन क्यू आखिर किस हक़ से आप मुझे देखने आये थे आपने मुझे क्या समझा हे  ' हिमानी ने गुस्से में कहा और रुक गयी एक जगह


हिमानी मेरी बात सुनिए " ना जाने मुझे क्या हो गया हे  जबसे आपको देखा हे , आपके साथ बिताये ये कुछ हफ्ते मेरी ज़िन्दगी के उन हसीन लम्हो में से हे  जो शायद मैने कभी जिए नही, आपके साथ  गुज़ारा हर एक लम्हा बेहद खूबसूरत था, मैं नही जानता की आखिर मुझे क्या हो गया हे आपको देखता हूँ तो इस बेचैन दिल को करार आ जाता हे  नही देखता हूँ तो आपको देखने की आपसे बात करने को बेताब रहता हे , मेरे दोस्त कहते हे  की मुझे आपसे प्यार हो गया हे , पहले मुझे भी नही पता था  क्यूंकि अलग सा एहसास मुझे आज से पहले कभी भी नही हुआ था , मैं तो अपने काम को ही अपना प्यार समझता था  लेकिन जब से आप मेरी ज़िन्दगी में आयी हो मैं कही खो सा गया हूँ "


"चुप हो जाओ भगवान के लिए चुप हो जाओ, ये किस तरह की बातें कर रहे हे  आप , आप मेरे लिए सिर्फ एक सेलानी हे  और कुछ नही मेरी शादी होने वाली हे  " हिमानी ने कहा


शादी होने वाली हे  हुयी तो नही हे  ना, आप  खुद  से झूठ मत बोलिये मैं जानता हूँ आपके दिल में भी मेरे लिए कुछ कुछ होता हे , परन्तु आपको डर हे समाज का और अपने माता पिता का, भव्या ने मुझे सब बता दिया हे  और मैं स्वयं भी देख सकता हूँ आपको आँखों में मेरे लिए प्यार हंशित ने कहा


"भव्या की बच्ची घर आकर तुझसे पूछती हूँ " हिमानी ने कहा और गुस्से में पीछे लौटने लगी ।


"हिमानी मेरी पूरी बात सुन लीजिये एक बार फिर कुछ फैसला करना, मैं जानता हूँ आपके इंकार की वजह , आप  यही सोच रही हे  ना की मैं एक परदेसी हूँ जो यहाँ अपने मतलब से आया हूँ और वो मतलब पूरा होते ही आपको अपने प्रेम जाल में फसा कर आपको यहाँ इंतज़ार की सूली पर लटका कर चला जाऊंगा, तो ऐसा सोचना बिलकुल गलत हे , मैं आपको अपने साथ शादी करके लेकर जाऊंगा जिस तरह से भी आप कहेगी  " हंशित ने कहा


लेकिन हिमानी बिना जवाब दिए वहा से जाने लगी  तब ही हंशित ने उसका हाथ पकड़ लिया पीछे से।


ये देख  हिमानी का गुस्सा सातवे आसमान पर जा पंहुचा  और उसने पलट कर खींच कर चाटा मारा और कहा " ये है तुम्हारा असली चेहरा , इस तरह किसी लड़की का बिना उसकी इज़ाज़त के उसका हाथ पकड़ना  "


"हिमानी तुम गलत समझ रही हो, मैं ऐसा वैसा लड़का नही हूँ जैसा तुम समझ रही हो, हिमानी मेरे जज्बातों को समझो अपने दिल की भी सुनो देखो तुम्हारा दिल भी तुमसे कुछ कहना चाहता है , शायद  वो भी तुम्हे बताना चाहता है की वो भी मुझे पसंद करता है, हिमानी अपने दिमाग़ की नही दिल की सुनो " हंशित ने कहा

"मैं जा रही हूँ और आज के बाद मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना  " हिमानी ने कहा और जैसे ही गुस्से में आगे बड़ी  अचानक ढाल पर से उसका पैर फिसल गया और वो हंशित  के ऊपर गिर गयी  उसके बाद दोनों लुढ़खते हुए उस ढलान वाली जगह से नीचे गिर गए  जो काफी गहरायी में थी ।


आखिर क्या होगा, क्या हिमानी और हंशित वहा से आसानी से निकल पाएंगे या फिर उन दोनों को इस तरह मिलाना ईश्वर की ही मर्ज़ी थी जानने के लिए पढ़ते रहिये 

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6 Comments

MR SID

10-Aug-2022 08:45 AM

Nice

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Reena yadav

10-Aug-2022 12:35 AM

बस हिमानी ओर हंशित सही सलामत रहे

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Sachin dev

09-Aug-2022 06:16 PM

Very nice

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